उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड: घोटालेबाजों के दिमाग देश की कमाई को खाती जा रही है

News Desk
By News Desk भारत 3 Views
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Uttarakhand Energy Corporation Limited The brains of scammers are eating away the countrys earnings

नई दिल्ली। देश और प्रदेश के विकास और प्रगति में भ्रष्टाचार और घोटालों की काली कमाई की दीमक किस तरह जन-धन को चट कर जाती है उसका ज्वलंत उदाहरण ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाली देवभूमि उत्तराखंड के एक ऊर्जा निगम यूपीसीएल में देखने को मिलता है।

किस तरह ये जिम्मेदार पदों को नियम विरुद्ध धोखेबाजी और छल से हथियाए बैठे इसके एमडी और निदेशक (परियोजना) के पद पर बैठे ये दोनों महाशय जो अनेकों करोड़ों-करोडो के घोटालों एवं भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त पाये जा चुके हैं व इनके विरुद्ध शासन स्तर से जांचों परान्त होने वाली दंडात्मक कार्यवाही आज एक लम्बे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं इससे इनकी दबंगई और ताकत का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।

एक ओर विकास में बाधक दूसरी ओर भ्रष्टाचार की करोड़ों- करोड़ों की काली कमाई से बने इनकी लगभग पचास से अधिक नामी बेनामी सम्पत्तयों का विशाल एम्पायर हैरत अंग्रेज है। विभिन्न नामों से खरीद फरोख्त की गयी इन सम्पत्तियां में इनके ऐसे ऐसे काले कारनामे छिपे हैं।

काली कमाई से सम्पत्तियों का एम्पायर कैसे?

बात यहां यूपीसीएल (उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड) के वर्तमान एमडी अनिल कुमार की हैं‌ जो‌ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद में वर्ष 1987-88 में सहायक अभियन्ता के पद पर सरकारी सेवा में आए और तत्पश्चात उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद से अब तक यूपीसीएल और पिटकुल में मुख्य अभियंता स्तर-1 तक सेवारत हैं तथा तीन चार माह में‌ सेवा निवृत्त होने वाले हैं।

अगर मान लिया जाये कि इन‌ महाशय 35 वर्षों के औसत वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह भी रहा हो तो भी अब तक की कमाई और धन संग्रह (बचत) सहित चार- पांच करोड़ से अधिक नहीं हो सकती वह भी तब जबकि पूरा वेतन बचा लिया गया हो और परिवार का रहना, खाना, पीना आदि सब खर्चे किसी दूसरे के सिर पर हो तो भी अब तक यह रकम और चल-अचल सम्पत्ति चार से पांच करोड़ की ही होनी चाहिए परंतु यहां फिर इस भ्रष्टाचारी महाबली यादव ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ की सम्पत्तियां जो अभी तक सामने आईं है‌ कहां से और कैसे जुटा‌ली।

इसके अभिन्न साथी सहायक अजय अग्रवाल की भी कमोवेश यही स्थिति है अर्थात इन‌ दोनों ने लगभग दो सौ करोड़ से अधिक सम्पत्तियां कहां से और‌ कैसे जुटा ली। इनकी अकूत सम्पत्ति यों में अपने परिजनों के नाम का तो प्रयोग मनमाने ढंग से किया ही गया है इसके‌ अतिरिक्त काली कमाई के अपार धन को किसी अपने व साझे के व्यवसाय में भी जिस तरह से इन्वेस्ट किया गया है वह तरीका भी आश्चर्य करने वाला है। उल्लेखनीय तो यहां यह तथ्य भी है दोनों महाशयों के‌ द्वारा सेवा नियमावली का भी जम कर उल्लंघन ही नहीं किया गया बल्कि बिना अनुमति के ही एक एम्पायर खड़ा कर लिया है‌ यहां तक कि एमडी साहब अपनी सम्पत्तियों की जो घोषणा अपने निगम में की‌ है वह सरासर सफेद झूठ बोलने से भी संकोच‌ नहीं किया गया क्योंकि‌ दबंगई तो बरकरार है।

माननीय द्वारा जो सम्पत्ती का ब्योरा दिया गया है उसमें देहरादून की मात्र चार और लखनऊ की तीन सम्पत्तयों की ही‌ घोषणा दिनांक 11-05-2021 को की गयी है जबकि जनाब लगभग-लगभग 35 से 40 देहरादून की ही नामी बेनामी संपतियों की खरीद फरोख्त कर चुके थे तथा इनके अभिन्न अंग अजय अग्रवाल भी लगभग 15 से 20 सम्पत्तयों की खरीद फरोख्त जमीनों के कारोबार में कर चुके हैं। यहीं नहीं यह सिलसिला निरंतर जारी है और अपने वेटे- बेटियों व कुवांरी पत्नी एवं दामाद व रिश्तेदारों एवं ससुर‌के नाम का भू व्यवसाय जारी है।

बेटे यशराज के नाम से किया जा रहा बड़े-बड़े ब्रांडिड ह्यूज लगभग आधा दर्जन शोरूम्स को लाखों रुपये प्रतिमाह की लीज पर रिषीकेश और देहरादून में लिया जाना तथा उनकी आड़ में काले सफेद के खेल का खेला जाना भी हैरत अंग्रेज है जबकि वहीं वेटा यशराज वर्ष 2015-16 में पिटकुल के ही एक कान्ट्रैक्टर कम्पनी मैसर्स आशीष ट्रांसपावर में नौकरी करके 40-45 हजार रुपये की सैलरी हासिल कर रहा था।

इसी प्रकार दामादों और‌ यादव रिश्तेदारों व बुजुर्ग पिता के नाम से देहरादून की महंगी कालोनी पनाष वैली में लाखों और करोड़ों की कीमत के लक्जरी तीन तीन फ्लैट खरीदने गये हैं। माननीय इतने चालाक व चतुर हैं कि ईडी और आयकर विभाग व सरकार को धोखा देने के लिए अपने आपको व बेटियों को जौनपुर का पता एवं पत्नी को ससुर की पुत्री दिखाकर अनेकों बेशकीमती सम्पत्तियों का कारोबार किया गया है।

** तभी तो अपने मूल सेवादारी निगम पिटकुल की पीएसडीएफ और एडीबी फंडिग वाली करोड़ों करोड़ों की परियोजना ओं में टेण्डर पूलिंग व सांठ-गांठ करके चहेतों को नियमों को बलाए ताक रखकर किये महाघोटाले और भ्रष्टाचार ?

** कान्ट्रेक्ट की सारी शर्तों को किया वेव आफ ?

** एक ही दिन में बने हनुमान और पुष्पक विमान से कर दिखाये सैंकड़ों किलोमीटर दूरस्थ स्थानों के सम्भव इंस्पेक्शन ?

** घोटालों में बाधक अपने निदेशक (परियोजना) के साथ‌ धमकी व अभद्रता का दुस्साहस एवं महिला सहकर्मी के साथ आचरण हीनता में दोषी पाये जाने की जांच एवं कार्यवाही की संस्तुती को फिकवाया कूड़ेदान में ?

** शीर्षस्थ आला अधिकारी के द्वारा बिठाई गयी चार गम्भीर प्रकरणों सहित अन्य कारनामों की खुली जांच भी दबंगई व चांदी की चमक में कराई बंद !

** कहां लुप्त हो गयी वरिष्ठ आईएएस अफसरों की संस्तुतियां और उनसे कराई जाने‌ वाली जांचें ?

** और फिर दर्जनों घोटालों में संलिप्तता के बाद बन बैठा पिटकुल का निदेशक तत्पश्चात एमडी यूपीसीएल?

** अधूरी एसीआर और नियुक्ति की शर्तें पूरी किए बिना ही हथिया ली आंखों में धूल झोंक कर एमडी की कुर्सी !

** दोस्ती रहे सलामत तभी दागी और घोटालेबाज को बनवाया निदेशक (परियोजना) !

  • यूपीसीएल के चर्चित पावर परचेज प्रकरण पर पूर्व सीएम के एफआईआर के आदेशों की अनदेखी व‌ 20-22 करोड़ की बकाया की क्रियेट पावर से वसूली पर‌ मेहरबानी का राज !
  • क्या है यूपीसीएल के सैंकड़ों करोड़ के पीर पंजाल और फैब्रिक कान्ट्रैक्टर के साथ सौदेबाजी न होने और फिर उन्हीं कामों को स्क्रैप कर टुकड़ों में टेण्डर अवार्ड किये जाने की कहानी?
  • यूपीसीएल के द्वारा ऊर्जा प्रदेश के उपभोक्ताओं पर मंहगी बिजली खरीद थोपने की खाई बाड़ी का जल विद्युत निगम के साथ मिलकर खेला जाने वाला खेल !
  • और अब‌ सेवानिवृत्त और एमडी का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सेवा विस्तार की ललक !

This Press Release is provided by:

Advocate Sunil Gupta,
For labour welfare foundation, Delhi
Mob.: 6396489332

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