पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली की ग्रीष्मकालीन कार्य योजना शनिवार 15 जून से लागू होगी। दिल्ली सचिवालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राय ने कहा कि इस ग्रीष्मकालीन कार्य योजना में मुख्य रूप से वृक्षारोपण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सरकार की ग्रीष्मकालीन कार्य योजना
गौरतलब है कि पिछले साल यह कार्य योजना 1 मई से लागू हुई थी, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण यह डेढ़ महीने देरी से शुरू होगी। राय ने कहा, “हमने गुरुवार को एक बैठक की, जिसमें 30 विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बार ग्रीष्मकालीन कार्य योजना का फोकस वृक्षारोपण पर होगा। 15 जून से 15 सितंबर तक सरकार ग्रीष्मकालीन कार्य योजना के 12 प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करके काम करेगी।”
गोपाल राय ने कहा कि हरित एजेंसियों को अपनी कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राय ने कहा कि 24 मई से 12 जून के दौरान दिल्ली का AQI “मध्यम” और “खराब” श्रेणी के बीच रहा। गर्मियों के प्रदूषण में धूल के कण अहम भूमिका निभाते हैं।
राय ने आगे कहा कि सभी एजेंसियां मिलकर 15 जून से 30 जून तक ‘धूल विरोधी अभियान’ चलाएंगी। इसके लिए 580 गश्ती दल निरीक्षण करेंगे। वे निगरानी करेंगे कि निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
ग्रीष्मकालीन कार्य योजना के मुख्य बिंदु
- वृक्षारोपण: वृक्षारोपण अभियान को लेकर 18 जून को दिल्ली सचिवालय में सभी हरित एजेंसियों के साथ बैठक बुलाई गई है।
- वृक्ष प्रत्यारोपण नीति: इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि प्रत्यारोपित किए जा रहे पेड़ों में से अधिक से अधिक पेड़ों को कैसे जीवित रखा जाए। प्रत्यारोपित पेड़ों की उत्तरजीविता दर में वृद्धि की निगरानी के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है।
- धूल प्रदूषण: धूल की रोकथाम 15 जून से 30 जून तक चलेगी। धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनें और 276 स्प्रिंकलर तैनात किए जाएंगे। 580 गश्ती दल पूरी दिल्ली में निगरानी करेंगे। सभी 13 चिन्हित हॉटस्पॉट में हॉटस्पॉट कार्य योजना लागू की जाएगी और वायु प्रदूषण के स्रोतों का निवारण किया जाएगा।
- खुले में कूड़ा जलाने से रोकने के लिए 1269 कर्मियों की 573 गश्ती टीमें निगरानी करेंगी, 525 कर्मियों की 235 टीमें रात में तथा 694 कर्मियों की 338 टीमें दिन में गश्त करेंगी। लैंडफिल स्थलों पर आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए एसओपी के आधार पर काम किया जाएगा।
- औद्योगिक प्रदूषण: औद्योगिक क्षेत्र में कूड़े के अवैध डंपिंग पर निगरानी के लिए डीपीसीसी तथा डीएसआईआईडीसी की 33 टीमें तैनात की गई हैं।
- नगर वनों का विकास: सात नगर वनों को बेहतर बनाया जाएगा, जिसमें पर्यावरण अनुकूल पगडंडियां, साइकिल पथ, पक्षी दर्शन डेक, कैनोपी वॉक, बैठने की जगह, खुले में व्याख्या संकेत आदि बनाए जाएंगे। तीन नए नगर वन बनाने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है।
- जलाशयों का विकास: दिल्ली में 1367 झीलों के अस्तित्व का सत्यापन किया जाएगा। 73 जलाशयों का जीर्णोद्धार भूमि स्वामित्व एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।
- पार्कों (ग्रीन पार्क) का विकास: 1500 पार्कों के विकास और रखरखाव के लिए 300 आरडब्ल्यूए/एनजीओ को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- ई-वेस्ट इको पार्क: ई-वेस्ट कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली में ई-वेस्ट इको पार्क बनाया जा रहा है। इसके प्रबंधन और स्थापना के काम में तेजी लाई जाएगी।
- इको क्लब गतिविधि: दिल्ली के दो हजार स्कूलों और कॉलेजों में इको क्लब चल रहे हैं। सक्रिय क्लबों में स्कूलों और कॉलेजों के 10-20 इको क्लब शिक्षकों की एक कोर टीम भी बनाई जा रही है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत निगरानी की जाएगी। तीनों डंपिंग साइटों पर बायो माइनिंग की जाएगी।
- पड़ोसी राज्यों से संवाद: पड़ोसी राज्यों के कारक भी प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस कारण पड़ोसी राज्यों से संवाद स्थापित किया जाएगा। पराली जलाने पर नियंत्रण की तैयारी।