बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण कानून रद्द, नीतीश सरकार को झटका

Rohit Mehta
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65 percent reservation law canceled in Bihar, shock to Nitish government

पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण कानून में किए गए हालिया संशोधन की संवैधानिक वैधता को खारिज करते हुए राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। साथ ही सरकार के कानून को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है।

मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने 11 मार्च को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे गुरुवार को सुनाया गया।

क्या था कानून

याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी, जिसमें एससी, एसटी, ईबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 65 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी सेवा में केवल 35 प्रतिशत पद दिए जा सकते हैं, जिसमें ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल है।

वहीं, अधिवक्ता दीनू कुमार ने पिछली सुनवाई में कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15 (6) (बी) के खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि आरक्षण का यह फैसला जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपात के आधार पर लिया गया है और यह फैसला सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर नहीं लिया गया है।

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Rohit Mehta is an Indian blogger cum Freelance Journalist, Author and Entrepreneur. He is the founder of Digital Gabbar and many other knows brands.
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