सेक्टर-142 थाना पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है, जो भारत से अमेरिका के निवासियों से करोड़ों की साइबर ठगी करता था। कॉल सेंटर चार महीने से सेक्टर-90 स्थित भूटानी अल्फाथम बिल्डिंग में चल रहा था। शनिवार को पुलिस ने 33 महिलाओं समेत 73 लोगों को गिरफ्तार किया है।
इनमें से अधिकतर आरोपी नागालैंड के रहने वाले हैं। जबकि कॉल सेंटर संचालक लखनऊ निवासी सौरव और बंटी समेत चार मुख्य आरोपी फरार हैं। आरोपी सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) ब्लॉक करने की धमकी देकर ठगी करते थे। गिफ्ट कार्ड या क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसे लेते थे।
आरोपियों के पास से 73 कंप्यूटर, 14 मोबाइल, 48 हजार रुपये और अन्य उपकरण बरामद हुए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में से 62 को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है। जबकि 11 को जेल भेजा गया है। रविवार को पुलिस कमिश्नर कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में एडीसीपी सेंट्रल नोएडा हृदयेश कठेरिया ने बताया कि कॉल सेंटर से इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईआरवी) के जरिए अमेरिका के नागरिकों को कॉल की जाती थी।
आरोपी वीएलसीएल सॉफ्टवेयर और एक्सलाइट डायलर का इस्तेमाल कर अमेरिकन मार्शल बनकर कॉल करते थे। विदेशी नागरिकों को फोन पर झांसा दिया जाता था कि उनके एसएसएन कार्ड खतरे में हैं। आरोपी कहते थे कि फीस देने पर कार्ड ब्लॉक करने की प्रक्रिया बंद कर देंगे। कॉल सुनकर कई विदेशी झांसे में आ जाते थे। उनसे पैसे ट्रांसफर कर लिए जाते थे। इसके अलावा कुछ नागरिकों को पार्सल में ड्रग्स आदि का डर दिखाकर भी ठगा जाता था।
आरोपी आमतौर पर गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसे ट्रांसफर करते थे। आधार कार्ड नंबर की तरह ही अमेरिका में हर नागरिक का एसएसएन होता है। वहां इस कार्ड से फोन नंबर से लेकर सरकारी योजनाओं तक का लाभ मिलता है। नंबर ब्लॉक होने से निवासियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
40 लाख रुपये प्रतिमाह होता था खर्च: पुलिस के मुताबिक फर्जी कॉल सेंटर चलाने के लिए गिरोह हर माह करीब 40 लाख रुपये खर्च करता था। कॉल सेंटर के बाहर कोई बोर्ड नहीं लगा था, हालांकि अंदर आलीशान माहौल था। सेंटर से रोजाना करीब तीन हजार कॉल की जाती थीं। पुलिस करोड़ों की ठगी की आशंका जता रही है। हालांकि, अधिकारी कह रहे हैं कि वास्तविक राशि का आकलन जांच के बाद ही होगा।