जमीन विवाद में ‘हनुमान जी’ पक्षकार बन पहुंचे कोर्ट, कोर्ट ने लगाया एक लाख का जुर्माना, जानिए पूरा मामला

Delhi High Court News: क्या आपने कभी सुना है कि कोई शख्स जमीन कब्जाने के लिए भगवान हनुमान को ही पक्षकार बना दे।

Rohit Mehta
3 Min Read
'Hanuman ji' reached the court as a party in the land dispute, the court imposed a fine of one lakh
हाइलाइट्स
  • जमीन विवाद में भगवान हनुमान को बनाया पक्षकार
  • कोर्ट ने शख्स की याचिका को किया खारिज, जुर्माना भी लगाया

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शख्स पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उस शख्स ने एक निजी संपत्ति हड़पने के प्रयास में हनुमान जी को अपना सह-वादी (पक्षकार) बनाया था। निजी जमीन पर बने मंदिर और उसमें पूजा करने के अधिकार को लेकर विवाद से जुड़ी अपील में हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया। जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि भगवान एक दिन मेरे सामने वादी बनेंगे।

अंकित मिश्रा पर लगा जुर्माना

अपीलकर्ता अंकित मिश्रा अब यह दलील देना शुरू न कर दे कि जुर्माने की रकम भगवान हनुमान भी शेयर करेंगे, इसलिए कोर्ट ने साफ किया कि हर्जाने की पूरी रकम का भुगतान अंकित मिश्रा ही करेंगे। अंकित मिश्रा ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए मौजूदा अपील दायर की थी।

जानिए क्या है पूरा मामला

इस अपील में यह दावा किया गया था कि मुकदमे में शामिल संपत्ति से जुड़े समझौते के अनुसार, सूरज मलिक के पक्ष में 2022 को आदेश आया था। अंकित मिश्रा को मंदिर में पूजा करने, देवताओं के अनुष्ठान करने के उनके अधिकार में बाधा डालने और उन्हें रोकने का एक प्रयास था। याचिका में दावा किया गया था कि चूंकि संपत्ति पर एक सार्वजनिक मंदिर है, इसलिए जमीन भगवान हनुमान की है।

हनुमान जी को बनाया पक्षकार

इसे संपत्ति को ‘कब्जाने के इरादे से सांठगांठ’ का मामला बताते हुए जस्टिस सी हरि शंकर ने अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अपीलकर्ता व्यक्ति ने जमीन के मौजूदा कब्जाधारकों के साथ मिलीभगत की, जिससे एक अन्य पक्ष को मुकदमे के बाद दोबारा कब्जा हासिल करने से रोका जा सके। अदालत ने छह मई को पारित आदेश में कहा कि मौजूदा कब्जाधारकों ने अन्य पक्ष की जमीन पर कब्जा कर लिया। वादी ने कब्जा पाने के लिए मुकदमा दायर किया था।

कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका

कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों ने वादी से जगह खाली करने के लिए 11 लाख रुपये मांगे। उन शर्तों पर फैसला सुनाया गया। इसके बाद वादी ने वास्तव में छह लाख रुपये का भुगतान किया लेकिन प्रतिवादियों ने फिर भी जमीन खाली नहीं की। अदालत ने कहा कि जनता के पास निजी मंदिर में पूजा करने का अधिकार होने की कोई अवधारणा नहीं है। जब तक कि मंदिर का मालिक ऐसा अधिकार उपलब्ध नहीं कराता या समय बीतने के साथ निजी मंदिर सार्वजनिक मंदिर में तब्दील नहीं हो जाता।

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Rohit Mehta is an Indian blogger cum Freelance Journalist, Author and Entrepreneur. He is the founder of Digital Gabbar and many other knows brands.