मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से संबंधित एक और जनहित याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख का जुर्माना लगाया, जो केजरीवाल पर इस्तीफे का दबाव बनाने और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने के निराधार दावों से जुड़ी सुर्खियां प्रसारित करने से मीडिया चैनलों को रोकने की मांग कर रहे थे।
PIL में जेल से सरकार चलाने को लेकर सुविधा देने की थी मांग
जनहित याचिका में अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश देने की भी मांग की गई थी ताकि वह सरकार के कामकाज के लिए अपने मंत्रियों और विधायकों से बात कर सकें। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिविजन बेंच ने कहा कि वह मीडिया चैनलों पर सेंसरशिप नहीं लगा सकते हैं। न ही केजरीवाल के राजनीतिक विरोधियों को विरोध करने से रोककर इमरजेंसी या मार्शल लॉ की घोषणा कर सकती है।
केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर शुक्रवार को फैसला
आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट 10 मई को फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में मंगलवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी और रिमांड को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
केजरीवाल ने किया था सुप्रीम कोर्ट का रुख
निचली अदालत और हाई कोर्ट से मामले में राहत नहीं मिलने के बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले की सुनवाई में वक्त लग रहा है ऐसे में वह आम चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल की अंतरिम जमानत की अर्जी पर विचार करेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मंगलवार को सुनवाई की थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर वह अंतरिम जमानत पर केजरीवाल को रिलीज करेंगे तो वह इस दौरान सरकारी कामकाज नहीं करेंगे तब केजरीवाल की ओर से कहा गया था कि वह फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे बशर्ते कि एलजी फाइल पर दस्तखत ना होने के आधार पर काम ना रोकें।